बिहार की राजनीति में कुछ नाम ऐसे होते हैं, जो सिर्फ पदों के लिए नहीं, बल्कि बदलाव के लिए जाने जाते हैं। Vijay Kumar Sinha उनमें से एक हैं। लखीसराय के छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने बिहार विधानसभा की स्पीकर कुर्सी और उपमुख्यमंत्री पद तक का सफर तय किया। उनकी कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि हर युवा के लिए यह संदेश देती है कि कठिन परिश्रम और निष्ठा से असंभव भी संभव हो सकता है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
Vijay Kumar Sinha का जन्म 5 जून 1967 को लखीसराय के तिलकपुर गांव में हुआ। उनके पिता शारदा रामन सिंह एक साधारण व्यवसायी थे, और मां सूरमा देवी घर की मजबूत स्तंभ। गांव में बचपन बिताने वाले विजय कुमार सिन्हा हमेशा जिज्ञासु और सवाल पूछने वाले छात्र रहे। उन्होंने 1989 में बेगूसराय के गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया।
उनके जीवन का पहला सबक गांव की समस्याओं को देखना था – बाढ़, सूखा, बिजली और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी ने उन्हें समाज के लिए काम करने की प्रेरणा दी।
छात्र राजनीति से विधायक तक
Vijay Kumar Sinha की राजनीति की शुरुआत छात्र जीवन में हुई। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के जरिए उन्होंने युवाओं की आवाज उठाना सीखा। 2005 में उन्होंने पहली बार लखीसराय से विधायक का चुनाव जीता। उन्होंने स्थानीय विकास, सड़क, बिजली और रोजगार जैसे मुद्दों पर जोर दिया।
आने वाले चुनावों में उनकी लगातार जीत – 2010, 2015, 2020 और 2025 – दर्शाती है कि Vijay Kumar Sinha की लोकप्रियता सिर्फ वादों पर नहीं, बल्कि काम पर आधारित है। 2025 में उन्होंने कांग्रेस के अमरेश कुमार को 24,940 वोटों से हराया और 1,22,408 वोट हासिल किए।
प्रमुख पद और उपलब्धियां
Vijay Kumar Sinha ने अपने राजनीतिक जीवन में कई महत्वपूर्ण पद संभाले। 2017 से 2020 तक श्रम संसाधन मंत्री रहे, जहां उन्होंने मजदूरों के लिए नई योजनाएं शुरू कीं। 2020-2022 के दौरान बिहार विधानसभा के स्पीकर रहे, और उनके कार्यकाल में सदन में सवालों के 100% जवाब देने का रिकॉर्ड बना।
उन्होंने ऑनलाइन हेल्प डेस्क सिस्टम लॉन्च किया, जिससे सदस्यों को डिजिटल सहायता मिलती रही। उनके “5 संकल्प” कार्यक्रम ने युवाओं को जोड़ने और समाज में सद्भाव फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जनवरी 2024 से Vijay Kumar Sinha उपमुख्यमंत्री बने। सड़क निर्माण, कला-संस्कृति, युवा मामलों और खनन-भूविज्ञान के क्षेत्र में उनके प्रयासों ने बिहार को नई दिशा दी। फरवरी 2025 से वे कृषि मंत्री भी हैं, और किसानों के लिए नई सब्सिडी स्कीम्स लागू की जा रही हैं।
निजी जीवन और परिवार

Vijay Kumar Sinha का परिवार उनकी ताकत है। 1986 में सुषिला देवी से शादी हुई, जो घर और परंपराओं का ध्यान रखती हैं। उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। संपत्ति लगभग 10-11 करोड़ होने के बावजूद उनका कहना है, “धन से ज्यादा महत्वपूर्ण है सेवा।”
भले ही वे भुमिहार समुदाय से हैं, लेकिन समाज के हर वर्ग को अपनाने की उनकी सोच उन्हें अलग बनाती है।
चुनौतियां और विवाद
राजनीतिक सफर हमेशा आसान नहीं होता। 2022 में उन्हें अविश्वास प्रस्ताव के कारण स्पीकर पद छोड़ना पड़ा। कुछ आपराधिक मामले और मतदाता सूची में दोहरी एंट्री का विवाद भी उनके सामने आया, लेकिन चुनाव आयोग और न्यायालय ने मामले साफ किए।
इन चुनौतियों के बावजूद Vijay Kumar ने हमेशा जनता और विकास को प्राथमिकता दी।
बिहार के लिए एक प्रेरणा
Vijay Kumar Sinha की कहानी बिहार के हर युवा के लिए प्रेरणा है। गांव की मिट्टी से लेकर उपमुख्यमंत्री तक का उनका सफर यह साबित करता है कि निष्ठा, मेहनत और सेवा की भावना से बदलाव संभव है। उनके प्रयासों से बिहार में सड़कें मजबूत हो रही हैं, युवा सशक्त हो रहे हैं, और किसान खुशहाल हो रहे हैं।
अगर आप भी बदलाव का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो Vijay Kumar के काम और उनके दृष्टिकोण को समझना और उसका पालन करना जरूरी है।
Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी और शिक्षा के उद्देश्य के लिए लिखा गया है। इसमें दी गई राय लेखक की निजी है और किसी भी राजनीतिक पार्टी या व्यक्ति के पक्ष में नहीं है।
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