चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने नोटिस जारी किया है। वजह यह है कि उनका नाम दो अलग-अलग राज्यों – बिहार और पश्चिम बंगाल की वोटर लिस्ट (Voter List) में दर्ज पाया गया है। यह मामला अब सियासी सुर्खियों में है क्योंकि कानून के तहत किसी व्यक्ति का नाम दो निर्वाचन क्षेत्रों में दर्ज नहीं हो सकता।
क्या है पूरा मामला?
28 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित Indian Express की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि प्रशांत किशोर का नाम एक साथ बिहार और पश्चिम बंगाल की निर्वाचक सूची (Electoral Roll) में मौजूद है।
इस रिपोर्ट के बाद करघर विधानसभा क्षेत्र के निर्वाची पदाधिकारी (Returning Officer) ने प्रशांत किशोर को नोटिस जारी किया। नोटिस में तीन दिनों के भीतर जवाब देने को कहा गया है कि आखिर उनके पास दो Voter ID क्यों हैं।
नोटिस में क्या लिखा है?
नोटिस के अनुसार, प्रशांत किशोर का नाम
- बिहार के करघर विधानसभा क्षेत्र (Rohtas जिले के कोनार गांव) में, और
- पश्चिम बंगाल के भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र (121 कालीघाट रोड, सेंट हेलेन स्कूल मतदान केंद्र) में दर्ज है।
आयोग ने बताया कि Representation of the People Act 1950 की धारा 17 और 31 के तहत दो जगह नाम दर्ज होना गैरकानूनी (Illegal) है। यदि यह सही साबित होता है, तो एक साल की जेल, जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है।
प्रशांत किशोर का जवाब – “यह चुनाव आयोग की गलती है”
India Today की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशांत किशोर ने माना कि उनके पास दो वोटर आईडी कार्ड हैं, लेकिन उन्होंने जिम्मेदारी चुनाव आयोग (Election Commission) पर डाल दी। उनके शब्दों में – जब मैं 2021 में बंगाल में चुनाव करा रहा था, तब वहां वोटर था। अभी मैं बिहार का वोटर हूं। यह चुनाव आयोग की गलती है, हमारे पास सभी दस्तावेज और रसीदें हैं।”
उन्होंने कहा कि वे अब करघर (बिहार) के वोटर हैं और तीन साल से वहीं रह रहे हैं। प्रशांत किशोर का कहना है कि उन्होंने बंगाल का वोटर कार्ड रद्द करने के लिए आवेदन (Form 8) भी दिया था।
कैसे जुड़ा बंगाल वाला कनेक्शन?
Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशांत किशोर का बंगाल वाला पता 121 कालीघाट रोड दर्ज था — यही वह जगह है जहां टीएमसी (TMC) का मुख्यालय स्थित है। 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान प्रशांत किशोर ने ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के लिए चुनावी रणनीति तैयार की थी। टीएमसी पार्षद कजरी बनर्जी ने बताया कि उस दौरान प्रशांत किशोर वहीं रहते थे और चुनाव की तैयारियों में जुटे थे।
बिहार में पैतृक गांव से जुड़ा नाम
वहीं, बिहार की वोटर लिस्ट में उनका नाम रोहतास जिले के कोनार गांव (करघर विधानसभा क्षेत्र) में दर्ज है। यह उनका पैतृक गांव है और वहीं से उन्होंने नया वोटर कार्ड बनवाया।
अब आयोग ने यह स्पष्ट करने को कहा है कि उन्होंने बंगाल की वोटर लिस्ट से नाम हटवाने की प्रक्रिया पूरी की या नहीं।
क्या कहता है कानून?
Representation of the People Act, 1950 की धारा 17 के तहत, कोई भी व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में वोटर के रूप में पंजीकृत नहीं हो सकता।
और धारा 31 में यह कहा गया है कि ऐसा करने पर जुर्माना या जेल का प्रावधान है। अगर किसी व्यक्ति का नाम गलती से दो जगह दर्ज हो गया है, तो उसे Form 8 भरकर एक स्थान से नाम हटवाना होता है।
जन सुराज पार्टी का बयान
जन सुराज पार्टी (JSP) के एक नेता ने बताया कि बंगाल चुनाव खत्म होने के बाद प्रशांत किशोर बिहार में वोटर बने थे। उन्होंने बंगाल का वोटर आईडी रद्द करने के लिए आवेदन भी किया था।
हालांकि उस आवेदन की वर्तमान स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
तीन दिन की समय सीमा – अब आगे क्या?
निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने प्रशांत किशोर को तीन दिन का समय दिया है अपना पक्ष रखने के लिए। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि क्या आयोग उनके स्पष्टीकरण से संतुष्ट होता है या फिर कानूनी कार्रवाई की ओर बढ़ता है।
नतीजा क्या हो सकता है?
अगर आयोग को लगे कि प्रशांत किशोर ने जानबूझकर दो वोटर लिस्ट में नाम रखा, तो उन पर कानूनी कार्रवाई, वोटर कार्ड निरस्तीकरण, और राजनीतिक प्रभाव पड़ सकता है। लेकिन अगर यह सिर्फ प्रशासनिक गलती साबित होती है, तो आयोग केवल एक लिस्ट से नाम हटाकर मामला बंद कर सकता है।
प्रशांत किशोर का मामला यह दिखाता है कि वोटर लिस्ट में डुप्लिकेट नाम कितना बड़ा प्रशासनिक मुद्दा बन सकता है। हालांकि प्रशांत किशोर ने इसे चुनाव आयोग की गलती बताया है,
लेकिन अब गेंद आयोग के पाले में है। तीन दिनों के भीतर उनका जवाब और आयोग का निर्णय तय करेगा कि यह मामला आगे बढ़ेगा या यहीं खत्म होगा।
Disclaimer: यह समाचार जानकारी के उद्देश्यों के लिए प्रकाशित किया गया है। इसमें प्रस्तुत तथ्य विभिन्न समाचार स्रोतों (जैसे Indian Express, India Today, Lalantop) से लिए गए हैं। लेख में दी गई जानकारी समय के साथ बदल सकती है और इसका उद्देश्य किसी भी व्यक्ति, संगठन या राजनीतिक दल के खिलाफ राय व्यक्त करना नहीं है। पाठक अपने विवेक और प्रामाणिक स्रोतों की पुष्टि के बाद ही कोई निर्णय लें।
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