मोकामा में चुनावी माहौल उस समय तनावपूर्ण हो गया, जब 30 अक्टूबर को जन स्वराज पार्टी के कैंडिडेट प्रियदर्शी पीयूष के काफिले पर हमला हुआ। इस हमले में उनकी टीम के एक करीबी कार्यकर्ता दुलारचंद यादव की गोली लगने से मौत हो गई। यह घटना पूरे इलाके में हड़कंप मचा गई और राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर कई तरह की चर्चाएँ शुरू हो गईं।
गोलीकांड का पूरा घटनाक्रम
जानकारी के अनुसार, पीयूष और उनके कार्यकर्ता मोकामा में चुनाव प्रचार के दौरान टाल क्षेत्र में वोट मांग रहे थे। अचानक कुछ व्यक्तियों ने काफिले पर हमला कर दिया। हमला इतना हिंसक था कि कई गाड़ियों के शीशे टूट गए और गोलियां चलीं। इस हमले में सबसे बड़ी त्रासदी यह हुई कि दुलारचंद यादव, जो पीयूष के साथ प्रचार कर रहे थे, उनकी हत्या हो गई।
पीयूष ने इस हमले का आरोप मोकामा के एनडीए उम्मीदवार अनंत सिंह पर लगाया है। उन्होंने त्वरित कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि अनंत सिंह को जल्द गिरफ्तार किया जाए और इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो। पीयूष ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमला सुनियोजित था और इसे अंजाम देने वाले स्पष्ट रूप से राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के कारण तैयार थे।
आरोप और जवाब
इस हत्या को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी शुरू हो गया। अनंत सिंह ने खुद मीडिया से बात करते हुए इस गोलीकांड के लिए सूरज भान सिंह को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि हम लोग टाल में वोट मांग रहे थे और अचानक उनके काफिले पर हमला किया गया। इसके परिणामस्वरूप कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हुई और अंततः दुलारचंद यादव की मौत हो गई।
वहीं, सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी, जो मोकामा से आरजेडी की टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, उन्होंने इस मामले में अपने पति के खिलाफ लगाए गए आरोपों को निराधार बताया। दुलारचंद यादव की शव यात्रा में शामिल हुईं वीणा देवी फूट-फूट कर रो पड़ीं और उन्होंने कहा कि मृतक उनके परिवार के समान थे। उन्होंने न्याय की मांग करते हुए कहा कि मजिस्ट्रेट के सामने जांच हो और कैमरे के साथ निष्पक्ष रूप से कार्रवाई की जाए।
पुलिस की कार्रवाई
मोकामा पुलिस ने दुलारचंद यादव के परिजनों के बयान के आधार पर हत्या का मामला दर्ज कर लिया। इस मामले में जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह, साथ ही अन्य कई लोगों जैसे कर्मवीर सिंह, संजय सिंह, छोटन सिंह के खिलाफ हत्या सहित कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच तेज़ कर दी गई है।
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि आचार संहिता लागू होने के बावजूद इलाके में हथियारों की मौजूदगी कैसे संभव हो पाई। स्थानीय लोग और राजनीतिक दल दोनों ही इस मामले में न्याय की मांग कर रहे हैं।
घटना का राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
Mokama Dularchand Murder ने मोकामा क्षेत्र में चुनाव प्रचार की प्रक्रिया को काफी प्रभावित किया है। घटना के बाद पूरे इलाके में सुरक्षा कड़ी कर दी गई और प्रशासन ने सभी राजनीतिक दलों को शांति बनाए रखने की चेतावनी दी।
इस हत्या ने चुनावी माहौल को और अधिक संवेदनशील बना दिया है। स्थानीय लोग पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं और न्याय की उम्मीद कर रहे हैं। वहीं, राजनीतिक पार्टियां इस मामले को लेकर अपने-अपने आरोप प्रत्यारोप जारी कर रही हैं।
निष्कर्ष Mokama Dularchand Murder
30 अक्टूबर का यह गोलीकांड मोकामा के लिए एक गंभीर राजनीतिक और सामाजिक चुनौती बन गया है। Mokama Dularchand Murder ने यह स्पष्ट कर दिया कि चुनावी हिंसा सिर्फ राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता तक सीमित नहीं रह सकती, बल्कि आम नागरिकों की जान पर भी खतरा बन सकती है। पीड़ित परिवार न्याय की मांग कर रहा है और प्रशासन पर भी जिम्मेदारी बढ़ गई है कि वह निष्पक्ष और शीघ्र कार्रवाई करे।
इस मामले में आने वाले अपडेट और न्यायिक कार्रवाई की स्थिति पर पूरी नज़र रखना आवश्यक है। पूरे देश की निगाहें इस घटना और इसके निष्पक्ष समाधान पर टिकी हुई हैं।
Disclaimer: यह लेख सार्वजनिक जानकारी और रिपोर्टिंग पर आधारित है। इसमें दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता की जिम्मेदारी लेखक या वेबसाइट पर नहीं है।
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