2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर रैली में कहा था की नीतीश जी ही मुख्यमंत्री बनेंगे। उनके भाषणों में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार की स्पष्ट घोषणा होती थी।
लेकिन 2025 के भाषणों में टोन बदल गया है। प्रधानमंत्री अब एनडीए सरकार या सुशासन सरकार” की बात करते हैं, लेकिन नीतीश कुमार मुख्यमंत्री होंगे, यह बात खुलकर नहीं कहते।
यह बदलाव राजनीतिक गलियारों में बड़े संकेत की तरह देखा जा रहा है — क्या बीजेपी अब नीतीश के बाद किसी नए चेहरे की तैयारी में है?
समस्तीपुर और बेगूसराय रैली का संदेश क्या था?
24 अक्टूबर की समस्तीपुर और बेगूसराय रैलियों में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा नीतीश बाबू के नेतृत्व में एनडीए रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल करेगा। पर गौर करें — उन्होंने यह नहीं कहा कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनेंगे। यह वही फर्क है जो 2020 में नहीं था। अब प्रधानमंत्री “एनडीए की सरकार या डबल इंजन सरकार” की बात करते हैं, पर नीतीश ही मुख्यमंत्री होंगे यह लाइन गायब है।
तेजस्वी यादव ने उठाया सवाल — “एनडीए का चेहरा कौन?”
तेजस्वी यादव ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा — नीतीश चाचा का सम्मान है, लेकिन अब एनडीए ने उन्हें मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित नहीं किया। अमित शाह जी खुद कह चुके हैं कि चुनाव के बाद विधायक तय करेंगे।
इस बयान ने विपक्ष को मौका दिया कि वो यह दिखा सके एनडीए में भी नीतीश कुमार मुख्यमंत्री को लेकर संशय है।
अमित शाह का बयान और बीजेपी की रणनीति
गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा — चुनाव के बाद विधायक तय करेंगे कि मुख्यमंत्री कौन होगा।
इस एक वाक्य ने राजनीति में हलचल मचा दी। इससे साफ लगता है कि बीजेपी अब “पोस्ट-इलेक्शन डिसीजन” की राह पर है। यानी, अगर एनडीए जीता, तो मुख्यमंत्री तय बाद में होगा — जो संकेत देता है कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद पर दोबारा नहीं लौट सकते।
नीतीश कुमार की सेहत और भाषणों की बदली शैली
2024 के लोकसभा चुनाव से ही उनकी सेहत को लेकर चर्चाएं चल रही हैं। 2025 के भाषणों में वे पहले जैसे ऊर्जावान नहीं दिखते। अब वे ज़्यादातर लिखा हुआ भाषण पढ़ते हैं, और बीच-बीच में ठहर जाते हैं।
जहां 2020 में नीतीश खुले और आक्रामक अंदाज़ में बोलते थे, अब मंच पर उनका आत्मविश्वास थोड़ा कम दिखाई देता है। यही वजह है कि कुछ लोग मान रहे हैं कि बीजेपी सेहत के बहाने सत्ता समीकरण बदल सकती है।
क्या बीजेपी वही करेगी जो ओडिशा में हुआ?
2024 के ओडिशा चुनाव में बीजेपी ने नवीन पटनायक की सेहत पर सवाल उठाए थे।
अब बिहार में भी नीतीश कुमार के वीडियो देखकर वैसी ही फुसफुसाहट शुरू हो चुकी है।
लेकिन इस बार बीजेपी चुप है — कहीं यह रणनीतिक चुप्पी तो नहीं कि “बाद में मुख्यमंत्री बदले जाएंगे?
बीजेपी के नेताओं की गोलमोल प्रतिक्रियाएं
जब पत्रकारों ने रविशंकर प्रसाद से पूछा कि क्या नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के उम्मीदवार हैं?
उन्होंने कहा — वैकेंसी नहीं है, हम नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन यह भी नहीं कहा कि नीतीश ही मुख्यमंत्री होंगे। राजनीति में यह अनकही बात ही असली संदेश होती है।
नीतीश कुमार की चुप्पी और जेडीयू की कमजोरी
अब तक जेडीयू की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई कि नीतीश उम्मीदवार हैं। वे खुद भी मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं — ना कोई इंटरव्यू, ना प्रेस कॉन्फ्रेंस।
जो नीतीश कभी हर पत्रकार से खुलकर बात करते थे, अब वे चुप्पी को ही जवाब बना चुके हैं।
क्या 2025 में नीतीश की विदाई तय है?
अगर अमित शाह की बातों, पीएम मोदी के भाषणों, और बीजेपी नेताओं की टालमटोल को जोड़ा जाए — तो यह साफ दिखता है कि एनडीए अब नीतीश कुमार के बाद का चेहरा तैयार कर रहा है।
हालांकि, बिहार की राजनीति में नीतीश की पकड़ अब भी मजबूत है। लेकिन यह चुनाव उनके राजनीतिक भविष्य का निर्णायक पल होगा। अगर इस बार भी एनडीए जीता, तो क्या बीजेपी नीतीश मुख्यमंत्री बनाए रखेगी?या फिर सुशासन को समृद्धि में बदलने के नाम पर नेतृत्व परिवर्तन करेगी?
जवाब तो नीतीश कुमार को ही देना होगा
बिहार की राजनीति में आज सबसे बड़ा सवाल यही है —
क्या नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने रहेंगे या बीजेपी नया चेहरा लाएगी?
जब तक नीतीश खुद आकर नहीं कहते — मैं ही एनडीए का मुख्यमंत्री उम्मीदवार हूं,
तब तक यह राजनीतिक रहस्य बना रहेगा। जनता के मन में यह बात घर कर गई है कि
शायद 14 नवंबर के बाद बिहार की सत्ता समीकरण बदल जाए।
Disclaimer: इस लेख में दी गई सभी जानकारियाँ सार्वजनिक भाषणों, मीडिया रिपोर्ट्स और राजनीतिक बयानों पर आधारित हैं। इसका उद्देश्य किसी राजनीतिक दल या व्यक्ति के पक्ष या विपक्ष में राय देना नहीं है। पाठकों से अनुरोध है कि वे तथ्यों की पुष्टि विश्वसनीय स्रोतों से स्वयं करें।
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