दोस्तों, कल्पना कीजिए एक ऐसे क्रिकेटर की, जो कभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं खेला, लेकिन घरेलू क्रिकेट में राजा की तरह राज किया। Mithun Manhas – नाम सुनते ही दिल्ली के फैंस के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।
12 अक्टूबर 1979 को जम्मू में जन्मे इस खिलाड़ी ने मैदान पर बल्ले से जादू बिखेरा, कप्तानी में टीम को चैंपियन बनाया, और अब 2025 में बीसीसीआई के 37वें अध्यक्ष के रूप में भारतीय क्रिकेट की कमान संभाल रहे हैं।
उनकी जिंदगी एक ऐसी कहानी है जो बताती है कि सफलता रातोंरात नहीं मिलती, बल्कि सालों की मेहनत और वापसी की ताकत से आती है। आज हम बात करेंगे मिथुन मन्हास के सफर की – संघर्षों से लेकर शिखर तक। अगर आप क्रिकेट के दीवाने हैं, तो ये लेख आपके लिए है। चलिए, शुरू करते हैं!
Mithun Manhas का प्रारंभिक जीवन: जम्मू से दिल्ली तक का सफर
Mithun Manhas का जन्म जम्मू, जम्मू-कश्मीर में एक साधारण परिवार में हुआ था। बचपन से ही क्रिकेट उनके खून में था। जम्मू के मैदानों पर गेंदबाजी और बल्लेबाजी का अभ्यास करते हुए वे बड़े हुए। लेकिन असली टर्निंग पॉइंट आया जब वे अंडर-16 स्तर पर दिल्ली चले गए।
वहां की तेज क्रिकेट संस्कृति ने उन्हें निखारा। सोचिए, एक छोटे शहर का लड़का दिल्ली जैसे शहर में कैसे फिट होता होगा? मिथुन ने बताया है कि शुरुआती दिनों में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा – भाषा, मौसम, और सबसे बड़ी, प्रतिस्पर्धा। लेकिन उनकी लगन ने सब कुछ बदल दिया।
उनकी शिक्षा के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा जाता, लेकिन क्रिकेट ही उनका असली गुरुकुल था। जम्मू से दिल्ली शिफ्ट होने के बाद, वे जल्दी ही अंडर-19 और फिर सीनियर टीम में जगह बना चुके थे।
एक इंटरव्यू में मिथुन ने कहा था, “क्रिकेट ने मुझे परिवार दिया, और परिवार ने मुझे क्रिकेट खेलने की ताकत।” ये शब्द उनकी जिंदगी को परिभाषित करते हैं। आज जब वे बीसीसीआई के अध्यक्ष हैं, तो जम्मू का हर बच्चा उनमें खुद को देखता है – एक प्रेरणा स्रोत।
घरेलू क्रिकेट में Mithun Manhas का जलवा: रणजी ट्रॉफी का बादशाह
Mithun Manhas का असली कमाल घरेलू क्रिकेट में दिखा। 1998 में दिल्ली के लिए डेब्यू करने के बाद, वे 2015 तक दिल्ली की टीम का अभिन्न अंग बने। फिर 2015-17 तक जम्मू-कश्मीर के लिए खेले। कुल 157 फर्स्ट-क्लास मैचों में उन्होंने 9,714 रन बनाए, औसत 45.82 के साथ।
27 शतक और 49 अर्धशतक – ये आंकड़े किसी सुपरस्टार के हैं! लेकिन याद रखिए, ये वो दौर था जब सचिन, द्रविड़, गांगुली जैसे दिग्गज मैदान पर थे। मिथुन को कभी भारत के लिए खेलने का मौका नहीं मिला, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
दिल्ली के कप्तान के रूप में स्वर्णिम अध्याय
2000 के दशक में मिथुन दिल्ली के कप्तान बने। सबसे यादगार पल था 2007-08 का रणजी सीजन। दिल्ली ने 17 साल बाद खिताब जीता, और मिथुन ने 921 रन बनाए, औसत 57.57 के साथ। गौतम गंभीर ने सेमीफाइनल और फाइनल में कप्तानी की, लेकिन मिथुन की भूमिका अहम थी।
सोचिए, टीम में गंभीर, वीरेंद्र सहवाग जैसे सितारे थे, लेकिन मिथुन ने सबको एकजुट किया। एक मैच में उन्होंने 205* की नाबाद पारी खेली – वो पल जब लगता था, ये आदमी रुकने वाला नहीं!
नीचे दी गई तालिका में Mithun Manhas के घरेलू क्रिकेट के प्रमुख आंकड़े हैं। ये न सिर्फ उनके कौशल को दिखाते हैं, बल्कि उनकी निरंतरता को भी:
| फॉर्मेट | मैच | रन | औसत | शतक | अर्धशतक | सर्वोच्च स्कोर | विकेट | सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी |
|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
| फर्स्ट-क्लास | 157 | 9,714 | 45.82 | 27 | 49 | 205* | 40 | 3/15 |
| लिस्ट ए | 130 | 4,126 | 45.84 | 5 | 26 | 148 | 25 | 3/36 |
| टी20 | 91 | 1,170 | 21.66 | 0 | 1 | 52 | 5 | 3/33 |
ये आंकड़े बताते हैं कि मिथुन न सिर्फ बल्लेबाज थे, बल्कि ऑफ-स्पिन गेंदबाज और कभी-कभी विकेटकीपर भी। जम्मू-कश्मीर में लौटने पर उन्होंने टीम को मजबूत बनाने में मदद की।
आईपीएल में Mithun Manhas: फ्रेंचाइजी क्रिकेट का योद्धा
आईपीएल के आने से क्रिकेट बदल गया, और मिथुन भी इसमें शामिल हुए। 2008 से 2010 तक दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए खेले, जहां वे लोकल हीरो थे। फिर 2011-13 में पुणे वॉरियर्स इंडिया, और 2014-15 में चेन्नई सुपर किंग्स।
कुल मिलाकर, उन्होंने आईपीएल में लगभग 800 रन बनाए। ज्यादा नहीं लगे? लेकिन याद रखिए, मिडल ऑर्डर में खेलना आसान नहीं।
- दिल्ली डेयरडेविल्स (2008-10): घरेलू मैदान पर फैंस का चहेता। एक मैच में उन्होंने 42 रन की पारी से टीम को जीत दिलाई।
- पुणे वॉरियर्स (2011-13): यहां 2.6 लाख डॉलर में खरीदे गए। सौरव गांगुली के साथ खेलना – वो तो सपना था!
- चेन्नई सुपर किंग्स (2014-15): एमएस धोनी की कप्तानी में अनुभव। मिथुन ने कहा, “धोनी से सीखा कि शांत रहना कितना जरूरी है।”
आईपीएल ने उन्हें नेशनल लेवल पर पहचान दी, लेकिन उनकी असली ताकत टीम मैनशिप थी। जैसे बॉलीवुड में अमिताभ बच्चन साइड रोल में भी हीरो लगते हैं, वैसे ही मिथुन आईपीएल में चमके।
कोचिंग और प्रशासनिक यात्रा: मैदान से बाहर का मास्टरस्ट्रोक
2017 में रिटायरमेंट के बाद मिथुन ने कोचिंग चुनी। फरवरी 2017 में किंग्स इलेव
न पंजाब के असिस्टेंट कोच बने। फिर 2017-19 तक बांग्लादेश अंडर-19 टीम के बैटिंग कंसल्टेंट।
2019 में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर, और 2022 में गुजरात टाइटंस के असिस्टेंट कोच। गुजरात के साथ उन्होंने आईपीएल जीतने में हाथ बंटाया – हार्दिक पंड्या को ग्रूम करने में उनकी भूमिका सराहनीय।
प्रशासन में भी सक्रिय। जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) से जुड़े रहे। ये अनुभव ने उन्हें बीसीसीआई की कुर्सी के लिए तैयार किया। मिथुन कहते हैं, “कोचिंग ने मुझे खिलाड़ियों की मानसिकता समझाई, जो प्रशासन में काम आती है।”
BCCI President बनने की कहानी

28 सितंबर 2025 को बीसीसीआई की 94वीं एजीएम में मिथुन मन्हास निर्विरोध 37वें अध्यक्ष चुने गए। रजनीश बिन्नी का स्थान लेते हुए वे पहले जम्मू-कश्मीर मूल के अध्यक्ष बने।
ये चुनाव अनपेक्षित था, लेकिन उनकी दिल्ली और जेकेसीए में मजबूत पकड़ ने काम किया। सैलरी फिक्स्ड नहीं, लेकिन पर्क्स शानदार – ट्रैवल, सिक्योरिटी, और क्रिकेट को नए आयाम देना। मिथुन का विजन? युवा खिलाड़ियों को मौका, घरेलू क्रिकेट को मजबूत बनाना।
Mithun Manhas के नेतृत्व के फायदे और नुकसान
मिथुन का नेतृत्व स्टाइल अनुभवी है, लेकिन चुनौतियां भी हैं। आइए देखें:
फायदे (Pros):
- अनुभव से भरपूर: घरेलू क्रिकेट की गहराई समझते हैं, जो बीसीसीआई को फायदा देगा।
- युवा-केंद्रित: कोचिंग बैकग्राउंड से नई पीढ़ी को प्रमोट करेंगे, जैसे शुभमन गिल या यशस्वी जायसवाल।
- क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व: जम्मू-कश्मीर से होने से नॉर्थ जोन को मजबूती मिलेगी।
नुकसान (Cons):
- अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर की कमी: कभी भारत के लिए नहीं खेले, तो ग्लोबल डील्स में चुनौती।
- राजनीतिक दबाव: बीसीसीआई में पावर गेम्स से निपटना मुश्किल।
- शुरुआती टेस्ट: आईसीसी मीटिंग्स में साबित करना होगा खुद को।
ये बैलेंस उनकी सफलता तय करेगा।
व्यक्तिगत जीवन: परिवार और शौक
मिथुन की पत्नी दिव्या मन्हास हैं, जो उनकी सबसे बड़ी सपोर्टर। परिवार के साथ घूमना उनका फेवरेट शौक है – हिमालय की वादियों से लेकर समुद्री किनारों तक। बच्चे क्रिकेट से दूर रखे हैं, लेकिन घर में हमेशा गेंद-बल्ले की बातें होती हैं।
एक बार उन्होंने शेयर किया, “परिवार ही मेरा सबसे बड़ा स्कोर है।” विवादों से दूर रहने वाले मिथुन की जिंदगी सादगी भरी है। जम्मू की संस्कृति – चाय के साथ गपशप और क्रिकेट – आज भी उनके साथ है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. Mithun Manhas ने कितने रणजी ट्रॉफी जीते? दिल्ली के कप्तान के रूप में 2007-08 में एक खिताब जीता।
2. क्या मिथुन मन्हास ने कभी भारत के लिए खेला? नहीं, लेकिन इंडिया ए और नॉर्थ जोन के लिए खेले।
3. BCCI President के रूप में उनका पहला बड़ा फैसला क्या हो सकता है? युवा क्रिकेटरों के लिए ज्यादा मैच और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर।
4. Mithun Manhas की उम्र कितनी है? 2025 में 46 वर्ष।
5. आईपीएल में उनका बेस्ट परफॉर्मेंस क्या था? पुणे के लिए 2011 में 42* की मैच-विनिंग पारी।
Mithun Manhas – क्रिकेट की नई उम्मीद
Mithun Manhas की कहानी हमें सिखाती है कि असली हीरो वो होते हैं जो पीछे से खेल बदल देते हैं। मैदान पर बल्लेबाज से लेकर बोर्डरूम में लीडर तक, उनका सफर प्रेरणा है। भारतीय क्रिकेट अब उनके हाथों में सुरक्षित है।
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