अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी देवबंद पहुंचे – ऐतिहासिक रिश्तों की झलक अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी (Amir Khan Muttaqi) का भारत दौरा इस समय सुर्खियों में है। शनिवार को उन्होंने उत्तर प्रदेश के दारुल उलूम देवबंद का दौरा किया। यह यात्रा सिर्फ एक औपचारिक विजिट नहीं,
बल्कि भारत और अफगानिस्तान के बीच ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक रिश्तों की गहराई को दर्शाती है।
इस विजिट का केंद्र बिंदु था — “Amir Khan Muttaqi in Deoband”, जहां उन्होंने हजारों छात्रों और धार्मिक नेताओं से मुलाकात की।
दारुल उलूम देवबंद और अफगानिस्तान का ऐतिहासिक रिश्ता
दारुल उलूम देवबंद भारत ही नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में इस्लामी शिक्षा का प्रमुख केंद्र माना जाता है। इसकी स्थापना 19वीं सदी में हुई थी और तब से इस संस्थान ने इस्लामिक विचारधारा और शिक्षाओं के प्रसार में बड़ी भूमिका निभाई है।
अफगानिस्तान में भी देवबंदी विचारधारा का बड़ा प्रभाव रहा है, खासकर तालिबान नेतृत्व में। यही कारण है कि जब Amir Khan Muttaqi in Deobandपहुंचे, तो उन्होंने इस संस्थान की ऐतिहासिक भूमिका को सराहा और कहा कि “देवबंद और अफगानिस्तान के बीच आध्यात्मिक और शैक्षणिक संबंध सदियों पुराने हैं।”
भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों का नया अध्याय
तालिबान के अफगानिस्तान में सत्ता संभालने के बाद यह किसी शीर्ष अफगान मंत्री की भारत में सबसे अहम यात्रा मानी जा रही है। मुत्ताकी का यह दौरा दोनों देशों के बीच बढ़ते संवाद और सहयोग की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
उनका कहना था कि “भारत हमेशा अफगान जनता के साथ खड़ा रहा है और हर कठिन परिस्थिति में सहयोग दिया है।
इस मौके पर उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान किसी भी देश या संगठन को अपनी भूमि का उपयोग आतंक फैलाने के लिए नहीं करने देगा। यह बयान इस बात का संकेत है कि तालिबान सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक जिम्मेदार छवि बनाना चाहती है।
पाकिस्तान पर सख्त संदेश
अपने दौरे के दौरान Amir Khan Muttaqi in Deobandने पाकिस्तान पर अप्रत्यक्ष रूप से तीखा हमला बोला। हाल ही में काबुल में हुए धमाकों और उसके बाद पाकिस्तान की सीमा पार एयर स्ट्राइक को लेकर उन्होंने कहा कि “ऐसी कार्रवाइयाँ गलत हैं और इनके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।”
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि “अफगानों के हौसले आज़माने की कोशिश न करें, क्योंकि इतिहास गवाह है — अंग्रेज़, सोवियत संघ, अमेरिका और नाटो सभी को अफगानिस्तान में हार का सामना करना पड़ा है।”
उनके इस बयान ने न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान इस दौरे की ओर खींच लिया।
देवबंद में उत्साह का माहौल
जब Amir Khan Muttaqi in Deoband पहुंचे, तो देवबंद का पूरा इलाका उत्साह से भर गया।
दारुल उलूम के प्रांगण में हजारों छात्र और स्थानीय लोग उनके स्वागत के लिए मौजूद थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक़, करीब 8,000 से 10,000 लोग उनके स्वागत के लिए जमा हुए थे।
विद्यार्थियों ने फूल बरसाकर उनका स्वागत किया। हालांकि, भीड़ इतनी बड़ी थी कि सुरक्षा प्रबंधन को नियंत्रित करने में दिक्कतें आईं और मुत्ताकी को कुछ समय तक अपनी गाड़ी में ही रहना पड़ा।
आख़िरकार उन्होंने बाहर निकलकर दारुल उलूम के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी से मुलाकात की। यह बैठक लगभग दो घंटे चली, जिसमें धार्मिक, शैक्षणिक और मानवीय विषयों पर चर्चा हुई।
सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक तैयारियाँ
देवबंद में मुत्ताकी के आगमन को लेकर प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की थी। हालांकि, भारतीय सरकार की ओर से कोई अधिकारी उनके साथ मौजूद नहीं था।
यह यात्रा उनके निजी कार्यक्रम का हिस्सा थी, जिसे दारुल उलूम कमेटी ने ही समन्वित किया।
कैंपस के अंदर सुरक्षा की जिम्मेदारी संस्था के स्वयंसेवकों के पास थी, जबकि बाहर पुलिस बल तैनात था ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
प्रशासन की कोशिश थी कि यात्रा पूरी तरह शांतिपूर्ण माहौल में पूरी हो।
मुत्ताकी का बयान – भारत के साथ मजबूत रिश्तों पर जोर

अपने संबोधन में Amir Khan Muttaqi in Deoband ने कहा, भारत ने हमेशा अफगानिस्तान की जनता की मदद की है। इस यात्रा से दोनों देशों के बीच समझ और सहयोग और भी मजबूत होंगे। हम किसी भी संगठन को अफगानिस्तान की भूमि का दुरुपयोग नहीं करने देंगे।
यह बयान इस बात का प्रतीक है कि अफगान विदेश मंत्री भारत के साथ संबंधों को और गहरा करने की दिशा में काम करना चाहते हैं।
भारत भी मानवीय सहायता, शिक्षा, और विकास परियोजनाओं के ज़रिए अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों को फिर से मज़बूत कर रहा है।
तालिबान के लिए भारत का महत्व
जब तालिबान ने 2021 में अफगानिस्तान में सत्ता संभाली थी, तब भारत ने काबुल में अपनी दूतावास सेवाएं सीमित कर दी थीं। लेकिन धीरे-धीरे संवाद के रास्ते फिर से खुले हैं।
Amir Khan Muttaqi in Deoband की यह यात्रा इस बात का संकेत है कि अब तालिबान भारत के साथ अपने रिश्तों को सुधारना चाहता है और राजनीतिक-कूटनीतिक विश्वास बहाली की प्रक्रिया में है।
भारत और अफगानिस्तान दोनों के बीच साझा मुद्दे हैं — आतंकवाद, व्यापार, शिक्षा और सांस्कृतिक संबंध। इस लिहाज से यह दौरा एक नए अध्याय की शुरुआत मानी जा रही है।
देवबंद दौरे से निकलने वाला बड़ा संदेश
इस पूरे दौरे का सबसे बड़ा संदेश यह है कि तालिबान सरकार भारत के साथ बेहतर संबंधों की ओर कदम बढ़ा रही है।
देवबंद जैसे ऐतिहासिक धार्मिक केंद्र में जाकर Amir Khan Muttaqi in Deobandने यह दिखाया कि अफगानिस्तान अपनी जड़ों और दक्षिण एशिया के सांस्कृतिक संबंधों को महत्व देता है।
साथ ही, पाकिस्तान को यह सख्त संदेश भी गया कि अफगानिस्तान अब किसी के दबाव में आने वाला नहीं है।
निष्कर्ष: Amir Khan Muttaqi in Deoband की यात्रा न केवल एक धार्मिक या शिष्टाचारिक मुलाकात थी, बल्कि यह भारत-अफगानिस्तान संबंधों के नए दौर की शुरुआत का प्रतीक बन गई है।
इस विजिट ने यह साबित कर दिया कि भारत और अफगानिस्तान के बीच दोस्ती की डोर इतिहास की गहराइयों में बंधी हुई है और आने वाले समय में यह और मजबूत होगी।
दारुल उलूम देवबंद की धरती पर दिया गया मुत्ताकी का संदेश सिर्फ अफगानिस्तान या भारत तक सीमित नहीं रहा — बल्कि यह पूरे दक्षिण एशिया के लिए शांति, सहयोग और आपसी समझ का प्रतीक बन गया है। Amir Khan Muttaqi
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